आइटीबीपी की मुख्य धारा से जुड़े 53 अधिकारी, 25 सप्ताह का लिया कठिन प्रशिक्षण

GarhwalVoice
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भारत तिब्बत सीमा पुलिस अकादमी में 25 सप्ताह के कठिन प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद 52 चिकित्सा अधिकारी और 01 उप सेनानी / जैग अधिकारी कुल 53 अधिकारी बल की मुख्य धारा में शामिल हुए। इन अधिकारियों को कठोर एवं लम्बे प्रशिक्षण के दौरान युद्ध कौशल, शस्त्र चालन, शारीरिक प्रशिक्षण, आसूचना, मानचित्र अध्ययन, सैन्य प्रशासन, कानून व मानव अधिकार जैसे सैन्य व पुलिस संबंधी विषयों का गहन प्रशिक्षण दिया गया।

पास आउट होने वाले इन अधिकारियों में 54वें गोस कॉम्बैटाइजेशन कोर्स के प्रशिक्षणार्थी देश के विभिन्न राज्यों से हैं, जिनमें केरल एवं राजस्थान से 08-08, तमिलनाडु से-05, उत्तरप्रदेश-04, आन्ध्रप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, मणिपुर से 03-03, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, तेलंगाना, पांडीचेरी से 02-02 एवं बिहार, असम, कर्नाटका, मध्यप्रदेश एवं उत्तराखण्ड से 01-01 प्रशिक्षणार्थी है। आज प्रशिक्षण के उपरान्त आयोजित भव्य दीक्षांत एवं शपथ ग्रहण समारोह में इन युवा अधिकारियों ने संविधान एवं बल के प्रति निष्ठा एवं समर्पण की शपथ ली।

पासिंग आउट परेड में बतौर मुख्य अतिथि राहुल रसगोत्रा, भारतीय पुलिस सेवा, महानिदेशक, भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल ने अपने संबोधन में पास आउट होने वाले सभी अधिकारियों को बल की मुख्य धारा में शामिल होने पर बधाई देते हुए इस बल में उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। रसगोत्रा 1989 बैच के मणिपुर कैडर के आईपीएस अधिकारी है। विशिष्ट सेवा के लिए उन्हें राष्ट्रपति पुलिस पदक, सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक और असाधारण आसूचना कुशलता पदक से भी अलंकृत किया गया है।

भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल 19 हजार फीट तक की उंचाई पर स्थित अग्रिम चौकियों में माइनस 45 डिग्री तापमान में भी मुश्किल हालातों में मुस्तैदी से काम करने वाला एक अनुशासित और अति प्रशिक्षित बल है, जो कि देश के अलावा विदेशों में भी महत्वपूर्ण सस्थानों को सुरक्षा प्रदान कर रही है। आंतरिक सुरक्षा हो, देश की सीमा की सुरक्षा हो, वीआईपी सुरक्षा प्रतिष्ठित संस्थान, आपदा प्रबंधन या फिर कोई अन्य विशेष कार्य देश को आवश्यकता पड़ने पर अग्रणी रहते हुए अपने कार्य का निवर्हन करता हैं।

मुख्य अतिथि ने नव नियुक्त अधिकारियों का आहवान करते हुए कहा कि भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल का इतिहास बहुत गौरवशाली रहा है। बल को आप लोगों से बहुत अपेक्षाएं है, इसलिए बल की परंपराओं को आगे बढाते हुए बल का नाम रोशन करना है।

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