देहरादून। केदारनाथ विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस ने बदरीनाथ जैसा प्रदर्शन दोहराने के लिए पूरी ताकत लगा दी है। यह चुनाव न केवल पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है, बल्कि पहाड़ी क्षेत्र में अपनी पैठ मजबूत करने का सुनहरा अवसर भी। कांग्रेस इसे भाजपा के हिंदुत्व एजेंडे को चुनौती देने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रभाव क्षेत्र में सेंध लगाने के तौर पर देख रही है।
पार्टी ने अपने वरिष्ठ नेताओं को मैदान में उतार दिया है। कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत के समर्थन में छोटी-छोटी सभाओं और जनसंपर्क कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। गढ़वाल और कुमाऊं के सभी प्रमुख नेताओं को प्रचार की जिम्मेदारी दी गई है।
बदरीनाथ की सफलता से बढ़ा आत्मविश्वास
जुलाई में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने बदरीनाथ सीट पर अपनी जीत बरकरार रखी थी। इसी सफलता ने पार्टी का आत्मविश्वास बढ़ाया है। अब केदारनाथ उपचुनाव को कांग्रेस ने अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है। पार्टी हाईकमान ने सभी नेताओं को एकजुट होकर चुनाव लड़ने का निर्देश दिया है।
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भाजपा के लिए बड़ी चुनौती
20 नवंबर को होने वाले इस उपचुनाव पर भाजपा की भी पैनी नजर है। केदारनाथ धाम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गहरा जुड़ाव किसी से छुपा नहीं है। ऐसे में भाजपा के लिए यह सीट सिर्फ एक उपचुनाव नहीं, बल्कि पार्टी के हिंदुत्व एजेंडे और प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है।
कांग्रेस की रणनीति
उत्तराखंड में लगातार तीन बड़े चुनावों (2022 विधानसभा और 2024 लोकसभा) में भाजपा का किला भेदने में नाकाम रही कांग्रेस, अब इस उपचुनाव के जरिए अपनी मजबूती का संदेश देना चाहती है। पार्टी का मानना है कि केदारनाथ में जीत न केवल राजनीतिक समीकरण बदलेगी, बल्कि पहाड़ी क्षेत्रों में पार्टी के लिए नए अवसर भी खोलेगी।





