देहरादून। देवभूमि उत्तराखंड में चार दिवसीय विश्व आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो की शानदार शुरुआत हो गई। यह आयोजन आयुष मंत्रालय के सहयोग से पहली बार उत्तराखंड की मेजबानी में हो रहा है। परेड ग्राउंड में आयोजित इस कार्यक्रम में 54 देशों के 350 से अधिक डेलीगेट्स और भारत सहित दुनियाभर से 6,000 विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं।
पहले दिन 50 सत्रों में 350 विशेषज्ञों ने आयुर्वेद चिकित्सा और उसके अनुसंधानों पर अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। चार दिवसीय इस सम्मेलन के दौरान कुल 600 शोध पत्रों को प्रस्तुत करने की योजना है। परेड ग्राउंड में आयोजित कार्यक्रम के लिए आठ अलग-अलग हॉल तैयार किए गए हैं।
आयुर्वेदिक उत्पादों की प्रदर्शनी ने खींचा ध्यान
कार्यक्रम के हिस्से के रूप में आयुर्वेद एक्सपो भी आयोजित किया गया, जिसमें देशभर की नामी आयुर्वेदिक फार्मा कंपनियों ने अपने उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई। स्थानीय लोगों और डेलीगेट्स के बीच आयुर्वेदिक उपचार और उत्पादों के प्रति खासा उत्साह देखने को मिला।
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आयुर्वेद पर वैश्विक संवाद का मंच
इस कांग्रेस का मुख्य उद्देश्य आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को न केवल भारत बल्कि वैश्विक स्तर पर नई ऊंचाईयों पर ले जाना है। विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं ने आयुर्वेद के पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक तकनीकों के साथ जोड़ने पर चर्चा की।
आयोजन स्थल पर लगे स्टॉलों में औषधीय पौधों, आयुर्वेदिक दवाओं, स्वास्थ्य संबंधी तकनीकों और उत्पादों की व्यापक जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है। कार्यक्रम में देशभर से पहुंचे छात्रों और शोधकर्ताओं ने भी आयुर्वेद में करियर के संभावनाओं को लेकर उत्साह व्यक्त किया।
मुख्यमंत्री का संदेश
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस आयोजन को उत्तराखंड के लिए ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम राज्य को आयुर्वेद और वेलनेस पर्यटन का वैश्विक केंद्र बनाने में मदद करेगा। “आयुर्वेद के क्षेत्र में यह मंथन नई दिशाएं और अवसर प्रदान करेगा,” उन्होंने कहा।
विशेष आकर्षण
- देश के शीर्ष आयुर्वेद विशेषज्ञों और विदेशी डेलीगेट्स का संवाद
- आयुर्वेदिक उत्पादों और तकनीकों की विशाल प्रदर्शनी
- स्वास्थ्य और वेलनेस के क्षेत्र में नवाचारों की प्रदर्शनी
चार दिवसीय यह आयोजन आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के बीच एक सेतु बनकर उभरेगा।