पंचकेदारों में शामिल रुद्रनाथ मंदिर के कपाट 18 मई को श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिए जाएंगे. इसे लेकर मंदिर समिति, प्रशासन और केदारनाथ वन प्रभाग ने तैयारियां तेज कर दी हैं. बता दें इस साल यात्रा को पहले से अधिक सुव्यवस्थित और पर्यावरण-संवेदनशील बनाने के लिए वन विभाग ने एक नया कदम उठाया है.
EDC के माध्यम से किया जाएगा यात्रा का संचालन
यात्रा का संचालन इस वर्ष पारिस्थितिकी विकास समिति (EDC) के माध्यम से किया जाएगा. समिति में आसपास के गांवों के स्थानीय लोगों को शामिल किया गया है. खास बात यह है कि प्रतिदिन अधिकतम 140 श्रद्धालुओं को ही मंदिर तक जाने की अनुमति होगी.
रुद्रनाथ यात्रा के लिए पंजीकरण करवाना अनिवार्य (rudranath temple registration)
रुद्रनाथ यात्रा के लिए श्रद्धालुओं को पंजीकरण कराना अनिवार्य कर दिया गया है, जो वे ऑनलाइन या बेस कैंप पर करा सकते हैं. केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग की ओर से यात्रियों के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए https://kedarnathwildlife-uk-gov-in/ वेबसाइट तैयार की गई है
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रुद्रनाथ मंदिर में भगवान शिव के मुख की होती है पूजा
बता दें रुद्रनाथ मंदिर के इतिहास और मान्यता के अनुसार, यह वह स्थल है जहां भगवान शिव की मुख प्रकट हुई थी. इसलिए इसे ‘मुख रुद्र’ भी कहा जाता है. पंचकेदार की यात्रा में यह चतुर्थ केदार के रूप में पूजा जाता है. रुद्रनाथ मंदिर समुद्रतल से करीब 3600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.





