भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान(Pakistan) से एक और बड़ी खबर सामने आई है। वहां की सरकार ने मौजूदा आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर(Asim Munir) को फील्ड मार्शल(Field Marshal ) के पद पर प्रमोट कर दिया है। ये पाकिस्तान के इतिहास में दूसरी बार है जब किसी आर्मी चीफ को ये ताकतवर रैंक दी गई है। अब सवाल यही उठ रहा है कि क्या पाकिस्तान एक बार फिर सैन्य तानाशाही की राह पर लौट रहा है?

पाक में दूसरी बार सेना अध्यक्ष Asim Munir को बनाया Field Marshal
इससे पहले सिर्फ एक शख्स को Field Marshal का दर्जा मिला था जनरल मोहम्मद अयूब खान। साल 1959 में देश में राजनीतिक अस्थिरता अपने चरम पर थी। हालात इतने बिगड़ गए थे कि तत्कालीन राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा ने सेना को ही सत्ता सौंप दी।
अयूब खान को मार्शल लॉ लागू करने का न्योता मिला और उन्होंने इस मौके को सत्ता हथियाने के लिए इस्तेमाल कर लिया। कुछ ही हफ्तों में उन्होंने मिर्जा को बाहर का रास्ता दिखा दिया और खुद राष्ट्रपति बन बैठे। फिर खुद को प्रमोट कर फील्ड मार्शल भी बना लिया। यही से पाकिस्तान में सैन्य शासन की नींव रखी गई।
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क्या Pakistan में होगा तख्तापलट!
20 मई 2025 को प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की कैबिनेट ने आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल बनाने की मंजूरी दी। हालांकि इसका ऐलान बेहद चुपचाप तरीके से हुआ। लेकिन इसके मायने बहुत गहरे हैं। इससे पहले भारत के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की सेना बुरी तरह घिरी नजर आई थी। आतंक के खिलाफ चले इस ऑपरेशन में पाक सेना की भूमिका उजागर हुई और भारत की जवाबी कार्रवाई ने उन्हें भारी नुकसान भी पहुंचाया।
आक्रामक छवि के लिए जाने जाते हैं मुनीर
जनरल आसिम मुनीर को एक बेहद आक्रामक और ताकतवर सेना प्रमुख के तौर पर देखा जाता है। सेना के भीतर उनकी पकड़ मजबूत है और वो कई बार सरकार की नीतियों को चुनौती भी दे चुके हैं। ऐसे में अब जब उन्हें फील्ड मार्शल बना दिया गया है, तो यह केवल पद का बदलाव नहीं, बल्कि सत्ता संतुलन में एक बड़ा झटका है।
अगर आगे चलकर सरकार पर भी उनका सीधा प्रभाव बढ़ता है, तो एक बार फिर पाकिस्तान में लोकतंत्र कमजोर और सेना मजबूत होती दिखेगी। और यह वही कहानी दोहरा सकती है जो अयूब खान के दौर में लिखी गई थी—जहां लोकतंत्र बस एक दिखावा बनकर रह गया था।





