दून घाटी अधिसूचना निष्क्रिय करने पर HC ने केंद्र से मांगा जवाब, अभिनव थापर की याचिका पर हुई सुनवाई

दून घाटी अधिसूचना 1989 को निष्क्रिय करने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ कांग्रेस प्रवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आलोक माहरा की खंडपीठ ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया है.

दून घाटी अधिसूचना निष्क्रिय करने पर केंद्र से मांगा जवाब

याचिका में कहा गया है कि 1989 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील दून घाटी क्षेत्र में खनन और भारी उद्योगों पर रोक लगाने के लिए अधिसूचना जारी की गई थी. लेकिन 13 मई 2025 को केंद्र सरकार ने इसे निष्क्रिय करने का शासनादेश जारी किया, जिससे मसूरी, ऋषिकेश, सहसपुर, डोईवाला, विकासनगर समेत पूरे दून घाटी क्षेत्र के पर्यावरण पर संकट मंडरा गया है.

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सरकार ने NCAP की दिशा के उलट किया है काम : याचिकाकर्ता : थापर

याचिकाकर्ता के अनुसार राज्य सरकार ने NCAP की दिशा के उलट काम किया है, जबकि इसी योजना के तहत देहरादून और ऋषिकेश जैसे शहरों को प्रदूषण नियंत्रण के लिए करोड़ों की राशि दी गई थी. थापर ने दावा किया कि प्रधानमंत्री कार्यालय को भी इस फैसले के खिलाफ दो बार पत्र दिए गए, लेकिन केंद्र सरकार ने अंतिम रूप से अधिसूचना निष्क्रिय कर दी.

27 जून को होगी अगली सुनवाई

याचिका में कहा गया है कि दून घाटी पहले से ही भूकंपीय दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र है और यहां स्लॉटर हाउस, क्रशर व रेड कैटेगरी की औद्योगिक गतिविधियां शुरू करना विनाशकारी होगा. अधिवक्ता अभिजय नेगी ने बताया कि कोर्ट ने केंद्र सरकार से सुप्रीम कोर्ट के 1988 के आदेशों के अनुपालन में ही कोई भी निर्णय लेने को कहा है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्देशित किया है कि वह पर्यावरण मंत्रालय को सभी तथ्य सौंपें और 13 मई के शासनादेश के प्रभावों की जानकारी दें. मामले की अगली सुनवाई 27 जून को होगी.

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