उत्तराखंड में बुग्यालों में कैंपिंग पर लगी रोक हटे, महाराज ने अधिकारियों को दिए निर्देश – Khabar Uttarakhand

सड़क निर्माण में वन विभाग की मंजूरी के जो मानक पीएमजीएसवाई (PMGSY) में लागू हैं वही लोक निर्माण विभाग में भी लागू किए जाने चाहिए. जिससे प्रदेश में लोक निर्माण विभाग की सड़कें बगैर किसी रुकावट के आसानी से बन सकें. इसके लिए लोक निर्माण विभाग, पर्यटन विभाग और वन विभाग के अधिकारियों को संयुक्त रूप से ठोस कदम उठाने के साथ-साथ पर्यटन कि दृष्टि से बंद ट्रैक रुटों को खोलना के लिए त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए. ये निर्देश पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने शनिवार को हुई बैठक में दिए.

महाराज ने उठाई PMGSY जैसी प्रक्रिया की मांग

महाराज ने कहा कि लोक निर्माण विभाग द्वारा सड़क निर्माण के समय वन विभाग को फॉरेस्ट क्लीयरेंस के लिए दुगनी सिविल भूमि दी जाती है, जबकि PMGSY में सड़क निर्माण के समय वन विभाग को भूमि क्षतिपूर्ति के रूप में कोई भूमि नहीं दी जाती बल्कि रिजर्व फॉरेस्ट में ही अधिग्रहित भूमि के लिए समतुल्य भूमि का पीएमजीएसवाई द्वारा वनीकरण किया जाता है. जिस कारण प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की सड़क शीघ्र और आसानी से बन जाती हैं जबकि लोक निर्माण विभाग द्वारा दुगुनी भूमि की अनुपलब्धता होने पर सड़क निर्माण की प्रक्रिया में विलंब होता है. इसलिए सड़क निर्माण में वन विभाग की मंजूरी के जो मानक PMGSY में लागू है वही लोक निर्माण विभाग में भी लागू किए जाएं. जिससे लोक निर्माण विभाग बिना किसी रूकावट के आसानी से सड़कों का निर्माण कर सके.

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उत्तराखंड में बुग्यालों में कैंपिंग पर लगी रोक हटे : महाराज

महाराज ने बैठक के दौरान अधिकारियों को बताया कि उन्होंने इस संबंध में हाल ही में केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव के देहरादून आगमन के समय में हुई मुलाकात के दौरान भी उनके सामने इस समस्या के समाधान के लिए कहा है. मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि उत्तराखंड के बुग्यालों में नैनीताल हाईकोर्ट द्वारा कैंपिंग करने पर रोक लगा दी गई है उसे हटाने के प्रयास करने चाहिए. उन्होंने कहा कि चमोली में वाण से रूपकुंड और घेस से बगजी ट्रैक दोनों ट्रैक जो कि बद्रीनाथ वन प्रभाग के अंतर्गत आते हैं उनको और नंदा देवी ट्रैक को खोलने के प्रयास करने के साथ-साथ चोपता में टेंट लगाने की अनुमति दी जानी चाहिए. इसके अलावा महाराज ने कहा उत्तरकाशी में जो ट्रैक बंद हैं उन्हें खोलना पर्यटन की दृष्टि बहुत जरूरी है.

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