बदरीनाथ धाम: दिव्य बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया जोरों पर है। शुक्रवार को धाम में वेद ऋचाओं का वाचन बंद कर दिया गया। अब आगामी दो दिनों तक गुप्तमंत्रों के माध्यम से पूजाएं संपन्न की जाएंगी। कपाट 17 नवंबर को रात 9:07 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे।
धाम में कपाट बंद करने की रस्में 13 नवंबर से प्रारंभ हुईं। पहले दिन गणेश मंदिर के कपाट बंद किए गए, इसके बाद दूसरे दिन आदि केदारेश्वर और आदि गुरु शंकराचार्य मंदिर के कपाट विधि-विधान से बंद हुए। अब मुख्य मंदिर में पूजा के लिए गुप्त मंत्रों का सहारा लिया जा रहा है।
कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब
शुक्रवार को कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर बदरीनाथ धाम में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। भक्तों ने अलकनंदा नदी और तप्तकुंड में पवित्र स्नान कर भगवान बदरीविशाल के दर्शन किए। सुबह से ही तप्तकुंड में स्नान के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। बीकेटीसी (बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति) के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं की संख्या में जबरदस्त इजाफा होता है।
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तप्तकुंड से गांधी घाट तक भक्तों का हुजूम देखने को मिला। श्रद्धालुओं ने भक्ति और आस्था के इस पर्व का भरपूर आनंद लिया।
17 नवंबर को होगा कपाट बंद होने का अंतिम विधान
शीतकाल के लिए बदरीनाथ धाम के कपाट बंद करने की अंतिम रस्में 17 नवंबर को पूरी होंगी। इसके बाद धाम के मुख्य द्वार रात 9:07 बजे बंद कर दिए जाएंगे। भक्तों के लिए अब अगले वर्ष अक्षय तृतीया पर कपाट खुलने का इंतजार रहेगा।





