आपातकाल के 50 साल, सीएम धामी ने किया 10 लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित

केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव का उत्तराखंड आगमन पर स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि केंद्र सरकार के सहयोग से राज्य के वन सम्बंधित मामलों का तत्परता से निस्तारण हो रहा है. उत्तराखंड को केंद्र सरकार का हर संभव सहयोग एवं मदद प्राथमिकता पर मिल रही है.

सीएम धामी ने किया 10 लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित

लोकतंत्र सेनानियों को नमन करते हुए सीएम ने कहा कि आज हमें लोकतंत्र की रक्षा करने वाले महानायकों को सम्मानित करने का सौभाग्य मिला है. भारतीय लोकतांत्रिक इतिहास में आपातकाल का कालखंड हमेशा एक काले अध्याय के रूप में अंकित रहेगा. यह फैसला हमेशा की तरह देश को अपनी जागीर समझने वाले एक परिवार की हठधर्मिता और तानाशाही रवैए का परिणाम था.

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प्रेस की स्वतंत्रता पर थोप दी थी सेंसरशिप

सीएम ने कहा कि आपातकाल में भारतीय संसद को बंधक बना लिया गया, प्रेस की स्वतंत्रता पर सेंसरशिप थोप दी गई और न्यायपालिका की गरिमा तार-तार कर करोड़ों देशवासियों के मौलिक अधिकारों को रौंद दिया गया. आपातकाल के उन काले दिनों में सत्ता के नशे में चूर तत्कालीन सरकार ने सभी विपक्षी नेताओं, सैंकड़ों पत्रकारों सहित हर उस आवाज का निर्ममता से दमन किया जो लोकतंत्र की रक्षा के लिए उठ रही थी. सीएम ने कहा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचल कर पूरे देश को एक खुली जेल बना दिया था.

आपातकाल के खिलाफ आंदोलन बना राष्ट्रव्यापी जनक्रांति

सीएम कहा कि नमन है लोकतंत्र के रक्षकों को, जिन्होंने जेल की कालकोठरियों को अपनी तपस्या की तपोभूमि बना लिया और लोकतंत्र के दीप को बुझने नहीं दिया. उस समय लोकनायक जयप्रकाश नारायण, श्रद्धेय नानाजी देशमुख, श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, जॉर्ज फर्नांडीज और चंद्रशेखर जैसे असंख्य लोकतंत्र सेनानियों ने आपातकाल लगाने के तानाशाही सरकार के उस निर्णय के विरुद्ध हुए आंदोलन को दिशा देने का काम किया. जेल की चारदीवारी में बंद रहते हुए भी इन नेताओं ने युवाओं के भीतर लोकतंत्र के प्रति चेतना जाग्रत करने का कार्य किया.

उत्तराखंड के सपूतो ने भी लोकतंत्र बचाने में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

सीएम ने कहा कि उत्तराखंड की पुण्यभूमि पर भी ऐसे अनेक सपूतों ने जन्म लिया, जिन्होंने लोकतंत्र की रक्षा के लिए अदम्य साहस का परिचय देते हुए उस जनक्रांति में अग्रणी भूमिका निभाई थी. सीएम ने बागेश्वर के चंद्र सिंह राठौर का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने शिक्षक रहते हुए छात्रों में लोकतंत्र के प्रति आस्था जाग्रत करने का कार्य किया जिसके लिए उन्हें कई यातनाएं झेलनी पड़ी, यहां तक कि अपनी नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा, जिसे 32 साल के संघर्ष के बाद वह दोबारा प्राप्त कर सके. सीएम ने पौड़ी के गोविंद राम ढींगरा का भी जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से संबंध रखने के लिए जबरन जेल में डाल दिया गया था.

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