देहरादून जिले की कमान संभालने के बाद से ही जिलाधिकारी सविन बंसल एक्शन में है. अपनी कुर्सी संभालने के बाद से ही डीएम बिना सूचना दिए कभी औचक निरिक्षण के लिए अस्पताल पहुंच जाते हैं तो कभी शिकायत मिलने के बाद ग्राहक बन शराब के ठेके के बाहर. जिलाधिकारी के छापेमारी के बाद से अधिकारियों में खलबली मची हुई है. शुक्रवार को डीएम बिना किसी को सूचना दिए राजकीय चिकित्सालय ऋषिकेश पहुंच गए.
DM ने मारा अस्पताल में छापा
निरीक्षण के दौरान डीएम ने आमजनता की तरह ही लाइन में लगकर ओपीडी पर्ची बनवाई. इस दौरान डीएम ने अस्पताल में आधा घंटे से अधिक समय बिताया. जैसे ही स्टाफ को डीएम की उपस्थिति की जानकारी मिली उनकी चहल-कदमी बढ़ गई. डीएम बंसल ने मरीजों और उनके तीमारदारों से हाल चाल लिया. डीएम ने अस्पताल की सफाई व्यवस्थाओं पर नाराजगी जताई. निरीक्षण में डीएम ने पाया कि निराश्रित वार्ड में मरीजों को फर्श पर लिटाया हुआ है. जिसे देख डीएम का पारा चढ़ गया.
Also Read
- आफत बनकर बरसी बारिश, कैंपटी फॉल में हुआ लैंडस्लाइड, दहशत में आए पर्यटक
- चारधाम यात्री ध्यान दें : मौसम विभाग ने जारी की उत्तराखंड के इन जिलों के लिए चेतावनी
- बद्रीनाथ धाम में अकेला भटक रहा था बच्चा, फिर जो हुआ वो रुला देगा
- भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी की पत्नी का निधन, सीएम धामी ने दी श्रद्धांजलि
- चारधाम श्रद्धालु ध्यान दें : ट्रैफिक नियम तोड़े तो सीधे कटेगा चालान, पुलिस ने की 81 वाहनों पर कार्रवाई
वेतन रोकने के दिए निर्देश
निरीक्षण के दौरान डीएम ने अस्पताल में 5 से 6 विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती के बावजूद वार्ड खाली होने और ऑपरेशन थिएटर में मरीज न होने पर सवाल उठाए. उन्होंने सीएमएस की अनुपस्थिति और अव्यवस्थाओं के लिए वेतन रोकने के निर्देश दिए. डीएम ने पाया कि बिजली कटने के कारण आईसीयू में ताला और टीकाकरण कक्ष में एएनएम की अनुपस्थिति है. डीएम ने सीएमएस को फटकार लगाते हुए ड्यूटी से नदारद मिले चार चिकित्सकों का वेतन रोकने और प्रतिकूल प्रविष्टि दर्ज करने के निर्देश दिए.
ठेकेदार पर लगाया 50 हजार का जुर्माना
जिलाधिकारी सविन बंसल ने अस्पताल की खराब सफाई व्यवस्था के चलते संबंधित सफाई ठेकेदार पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाने के निर्देश दिए. डीएम बंसल ने मुख्य चिकित्सा अधीक्षक से इस मामले पर रिपोर्ट तलब की है. डीएम सविन बंसल ने कहा कि गढ़वाल का बेस अस्पताल होने के नाते इस प्रकार की अव्यवस्थाएं चिन्ताजनक हैं और प्रशासनिक स्तर पर सुधार की आवश्यकता है.