उत्तराखंड: छेड़छाड़ से परेशान छात्राओं ने छोड़ा स्कूल, प्रधानाचार्य सस्पेंड, यहां का है मामला

GarhwalVoice
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देहरादून: शिक्षा विभाग से जुड़ा एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। ऐसा मामला जो शर्मसार करने वाला है। जिस प्रधानाचार्य पर स्कूल के बेहतर संचालन की जिम्मेदारी होती है। वही सबसे बड़ा दुश्मन बन गया। वकासखंड कालसी के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय पानुवा में तैनात प्रधानाध्यापक छात्राओं के साथ छेड़छाड़ और अश्लील हरकतें करता है। मामले की जांच के बाद प्रधानाचार्य को सस्पेंड कर दिया गया है।

अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार उप शिक्षाधिकारी कालसी की जांच रिपोर्ट पर जिला शिक्षा अधिकारी (प्राथमिक शिक्षा) देहरादून आरएस रावत ने प्रधानाध्यापक चतर सिंह चौहान को निलंबित कर विभागीय जांच बैठा दी है। छात्राओं ने स्कूल में तैनात एक महिला शिक्षिका से प्रधानाध्यापक के उनके साथ छेड़छाड़ तथा अश्लील हरकतें करने की शिकायत की थी। शिकायत करने वाली तीन छात्राओं ने शिक्षिका को बताया की प्रधानाध्यापक कई दूसरी छात्राओं के साथ लंबे समय से छेड़छाड़ और अश्लील हरकतें करता आ रहा है।

 

उनके अनुसार परेशान हो कर कक्षा सात की एक छात्रा ने पहले स्कूल से नाम कटा लिया था। अन्य छह छात्राओं ने भी प्रधानाध्यापक के उत्पीड़न से तंग आकर स्कूल से अपना नाम कटवा लिया है। विभागीय उच्चाधिकारियों को घटना की शिकायत मिलते ही विभाग में हड़कंप मच गया। उच्चाधिकारियों के निर्देश पर उप शिक्षा अधिकारी कालसी भुवनेश्वर प्रसाद जदली ने तत्काल विद्यालय पहुंच कर आरोपी प्रधानाध्यापक सहित महिला शिक्षिका व वहां पढ़ने वाली अन्य छात्राओं से पूछताछ की।

उन्होंने विद्यालय से नाम कटवा कर जाने वाली छात्राओं के बारे में भी जानकारी जुटाई। जांच में पता चला कि नाम कटवाने वाली छात्राओं ने क्षेत्र के ही एक अन्य विद्यालय में प्रवेश लिया है। उप शिक्षाधिकारी जदली ने बताया कि जांच में आरोप सही पाए गए। जिस पर विस्तृत रिपोर्ट विभागीय उच्चाधिकारियों को सौंपी गई है। उन्होंने बताया कि जिला शिक्षा अधिकारी ने आरोपी प्रधानाचार्य को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।

 

आरोपी प्रधानाध्यापक को निलंबन की अवधि में उप शिक्षा अधिकारी चकराता कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है। उप शिक्षा अधिकारी चकराता को प्रकरण में जांच अधिकारी नामित किया है। उन्हें प्रकरण की निष्पक्ष जांच करते हुए प्रधानाध्यापक का भी पक्ष सुनते हुए 15 दिन के भीतर विभागीय कार्रवाई पूर्ण करते हुए जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं।

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