जो डोनाल्ड ट्रंप कुछ वक्त पहले तक भारत और पीएम मोदी के साथ गहरी दोस्ती की बातें कर रहे थे। अब उन्हीं के बयानों ने सबको चौंका दिया है। ट्रंप इस वक्त कतर की राजधानी दोहा में हैं। जहां वो दुनिया के बड़े-बड़े अरबपतियों से मुलाकात कर रहे हैं। इसी मीटिंग के बाद ट्रंप ने खुद एक ऐसा बयान दे दिया है जिसे सुनकर आप हैरान रह जाएंगे।
ट्रंप ने कहा है कि उन्होंने अमेरिकी कंपनियों को सुझाव दिया है कि वो अपनी फैक्ट्रियां भारत में न लगाएं। उनका मानना है कि अगर मार्केट मजबूरी न हो, तो कंपनियों को वापस अमेरिका में ही प्रोडक्शन यूनिट्स स्थापित करनी चाहिए।
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा- भारत में iPhone बनाने की जरुरत नहीं
ट्रंप ने iPhone बनाने वाली कंपनी ऐपल के CEO टिम कुक से भी मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत में फैक्ट्रियां लगाने की ज़रूरत नहीं है। उनके मुताबिक भारत को अपने हाल पर छोड़ देना चाहिए। उन्होंने कहा, “वे अपना ख्याल खुद रख लेंगे।”
Also Read
- हल्द्वानी में ‘तिरंगा शौर्य सम्मान यात्रा’ में शामिल हुए सीएम धामी, लोगों में दिखा उत्साह
- केदारनाथ यात्रा के दौरान थारो कैंप के पास अचेत मिला श्रद्धालु, स्वास्थ्य केंद्र पहुंचने से पहले तोड़ा दम
- धामी कैबिनेट से मिली मुख्यमंत्री एकल महिला स्वरोजगार योजना को मंजूरी, जानें किसे मिलेगा लाभ
- दिनदहाड़े मंदिर से लड्डू गोपाल की मूर्ति चोरी, CCTV में कैद हुई वारदात
- हरिद्वार में सुरंग के पास रेलवे ट्रैक पर मिला चार साल की लापता बच्ची का शव, दुष्कर्म की आशंका
हालांकि भारत की ओर से पहले ही अमेरिकी कंपनियों को टैरिफ छूट की पेशकश की जा चुकी है। लेकिन ट्रंप अब साफ तौर पर यही कह रहे हैं कि कंपनियों को अमेरिका लौट आना चाहिए और यहीं निर्माण करना चाहिए।
Apple का कुछ और ही ऐ प्लान
ट्रंप के रुख के ठीक उलट ऐपल का तो बिल्कुल अलग प्लान है। Apple CEO Tim Cook पहले ही कह चुके है कि 2026 तक अमेरिका में बिकने वाले ज्यादातर iPhones भारत में बनेंगे। चीन में बढ़ते टैरिफ से बचने के लिए ये कदम उठाया जा रहा है। अभी के हालात में ऐपल हर साल अमेरिका में करीब 6 करोड़ iPhone बेचता है। जिनमें से 80 फीसदी चीन में बनते हैं।
भारत में बनाना महंगा
रिपोर्ट्स की मानें तो भारत में iPhone बनाना चीन के मुकाबले 5-10% तक महंगा पड़ता है। लेकिन फिर भी ऐपल ने प्रोडक्शन बढ़ाया है। मार्च में कंपनी ने भारत से करीब 60 टन iPhones अमेरिका भेजे। जिनकी वैल्यू लगभग 2 अरब डॉलर बताई गई। इस शिपमेंट के साथ टाटा और फॉक्सकॉन ने नया रिकॉर्ड भी बना लिया।
तो क्यो बदली ट्रंप की सोच?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जो ट्रंप भारत के प्रति सकारात्मक रुख दिखा रहे थे। उन्होंने अचानक अपना सुर क्यों बदला? जवाब शायद जेनेवा में हुई ट्रेड वार्ता में छुपा है। अमेरिका और चीन के बीच हुए समझौते में दोनों देश एक-दूसरे पर टैरिफ कम करने पर राजी हो गए हैं। चीन ने अमेरिका को कुछ अतिरिक्त ऑफर भी दिए हैं। इस डील के बाद ट्रंप ने भारत के मुकाबले चीन की ओर झुकाव दिखाया। भारत से फैक्ट्रियां हटाने की बात कह डाली।