देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश की सहकारी समितियों में निष्क्रिय सदस्यों को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य सहकारी समिति निर्वाचन नियमावली में संशोधन करते हुए 1.11 लाख निष्क्रिय सदस्यों को मतदान का अधिकार देने का निर्णय लिया गया। इनमें 33 हजार महिलाएं और 78 हजार पुरुष शामिल हैं।
महिलाओं के लिए 33% आरक्षण लागू
सरकार ने सहकारी समितियों के चुनाव में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की है। हालांकि, बीते तीन वर्षों में कई सदस्यों ने समिति से किसी प्रकार का लेनदेन नहीं किया था, जिसके चलते उन्हें मतदान के अधिकार से वंचित किया गया था।
नियम 12 (ख) में बदलाव
- पहले: सहकारी समिति निर्वाचन नियमावली के नियम 12 (ख) के तहत, तीन साल तक निष्क्रिय रहने वाले सदस्यों को चुनाव में भाग लेने से रोका गया था।
- अब: मंत्रिमंडल ने इस नियम में छूट का प्रस्ताव मंजूर कर लिया है, जिससे ये सदस्य फिर से चुनाव में अपने मताधिकार का उपयोग कर सकेंगे।
33 हजार महिलाओं को फायदा
इस निर्णय से सहकारी समितियों में निष्क्रिय मानी जा रही 33 हजार महिलाओं को न केवल मताधिकार मिलेगा, बल्कि समितियों में भागीदारी के लिए प्रोत्साहन भी मिलेगा। यह कदम सहकारिता में महिला सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
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सरकार का उद्देश्य
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह निर्णय सहकारी समितियों को अधिक समावेशी बनाने और सहकारिता आंदोलन को सशक्त करने के उद्देश्य से लिया गया है। सरकार का मानना है कि निष्क्रिय सदस्य भी समिति के विकास और नीति निर्धारण में अहम भूमिका निभा सकते हैं।





