जानिए कौन हैं उत्तराखंड का इतिहास सहेजने वाले शिक्षक डॉ. यशवंत सिंह कठोच

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उत्तराखंड के प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. यशवंत सिंह कठोच को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पद्मश्री से सम्मानित किया। दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी ने मुर्मू ने डॉ यशवंत कठोच को पद्मश्री से सम्मानित किया। डॉ. यशवंत कठोच को भारतीय संस्कृति, इतिहास, पुरात्व शोध के कार्यों के लिए पद्मश्री से नवाजा गया है।

33 वर्षों तक शिक्षक के रूप में  दी सेवाएं

डॉ. यशवंत कठोच उत्तराखंड के पौड़ी जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने 33 वर्षों तक शिक्षक के रूप में सेवाएं दी, और प्रधानाचार्य के पद से रिटायर हुए। डॉ कठोच इतिहास और पुरातत्व के क्षेत्र में लंबे समय से योगदान दे रहे हैं।डॉ कठोच भारतीय संस्कृति, इतिहास एवं पुरातत्व के क्षेत्र में निरंतर शोध कर रहे हैं। वह वर्ष 1973 में स्थापित उत्तराखंड शोध संस्थान के संस्थापक सदस्य हैं। उनकी मध्य हिमालय का पुरातत्व, उत्तराखंड की सैन्य परंपरा, संस्कृति के पद.चिन्ह, मध्य हिमालय की कला, एक वास्तु शास्त्रीय अध्ययन, सिंह.भारती सहित 12 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। डॉक्टर कठोच द्वारा लिखी उत्तराखंड इतिहास की पुस्तक पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में खासा मददगार रहती है। डॉक्टर कठोच मूलतः पौड़ी जिले से ही हैं।

ये हैं प्रमुख कृतियां

उनका जन्म 27 दिसंबर 1935 को मासों, विकास खंड एकेश्वर, चौंदकोट पौड़ी गढ़वाल में हुआ। उनका स्नातकोत्तर राजनीति विज्ञान और इतिहास में आगरा विश्वविद्यालय से हुआ। वे डी० फिल० भी हैं। वे एक शिक्षक से होते हुए प्रधानाचार्य के पद से सेवानिवृत हुए। मध्य हिमालय के 3 खंड, मध्य हिमालय का पुरातत्व, संस्कृति के पद चिन्ह, उत्तराखंड का नवीन इतिहास उनकी प्रमुख कृतियां हैं। भारत वर्ष का ऐतिहासिक स्थल कोश उनका अखिल भारतीय ग्रंथ है। डॉक्टर कठोच ने जौनसार, महासू मंदिर, कण्वाश्रम, अल्मोड़ा, बागेश्वर, कटारमल्ल, बैजनाथ आदि जगहों का भ्रमण कर उनका पुरातात्विक अध्ययन किया। अपने शैक्षणिक प्रयासों के अलावा, डॉ कठोच ने उत्तराखंड में महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थलों और ऐतिहासिक स्मारकों के संरक्षण और संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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