शिक्षक को बताया आतंकी!, कोर्ट का सख्त रुख, चैनलों के खिलाफ अब चलेगा केस

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सीमा पार से आई गोलीबारी में मारे गए शिक्षक मोहम्मद इकबाल को लेकर जम्मू-कश्मीर की एक अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। दरअसल कुछ टीवी चैनलों ने इकबाल को पाकिस्तानी आतंकवादी बताकर खबरें चलाई थीं। अब कोर्ट ने उन चैनलों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है और उनके रवैये को गंभीर लापरवाही करार दिया है।

क्या है पूरा मामला?

7 मई को पुंछ सेक्टर में पाकिस्तान की ओर से हुई गोलीबारी में स्थानीय शिक्षक मोहम्मद इकबाल की जान चली गई थी। लेकिन इसके तुरंत बाद कुछ टीवी चैनलों ने बिना पुष्टि के दावा कर दिया कि इकबाल लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी था जो ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मारा गया। इतना ही नहीं एक मदरसे की तस्वीर भी वायरल की गई। जिसमें इकबाल को POK में मारे गए आतंकी से जोड़ने की कोशिश की गई।

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शिक्षक को बताया आतंकी!, कोर्ट सख्त

इकबाल को आतंकवादी बताने पर उनके परिवार की ओर से वकील शेख मोहम्मद सलीम ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और एफआईआर की मांग की। उन्होंने तर्क दिया कि मीडिया की इस गैर-जिम्मेदाराना रिपोर्टिंग से न केवल मृतक की छवि धूमिल हुई। बल्कि पूरे परिवार को सामाजिक रूप से शर्मिंदा होना पड़ा।

SHO की रिपोर्ट में क्या निकला?

पुंछ पुलिस स्टेशन के SHO ने कोर्ट को बताया कि दो टीवी चैनलों ने वाकई में शुरू में इकबाल को आतंकी बताया था। बाद में उन्होंने अपनी गलती स्वीकार की और स्पष्टीकरण भी जारी किया। हालांकि कोर्ट ने साफ कहा कि “माफी से पहले जो नुकसान हुआ, वो वापस नहीं हो सकता।”

जज का सख्त रुख

मामले की सुनवाई करते हुए जज सजफीक अहमद ने बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि बिना किसी ठोस जांच के एक मृतक शिक्षक को आतंकवादी घोषित कर देना सिर्फ पत्रकारिता की चूक नहीं बल्कि सार्वजनिक शरारत और मानहानि है। उन्होंने कहा कि ये हरकत समाज में तनाव और भ्रम फैला सकती है। कोर्ट ने इसे BNS की संबंधित धाराओं के तहत अपराध मानते हुए SHO को एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए।

परिवार ने भेजा था कानूनी नोटिस

जज ने ये भी चेताया कि “डिजिटल दौर में झूठी खबरें पल भर में फैल जाती हैं। जिसके असर लंबे समय तक रहता है। ऐसी गैर-जिम्मेदार रिपोर्टिंग से न केवल सामाजिक सौहार्द को ठेस पहुंचती है। बल्कि निर्दोषों की छवि भी बर्बाद हो जाती है।”

इससे पहले इकबाल के परिवार ने दोनों चैनलों को 5-5 करोड़ रुपए का कानूनी नोटिस भेजा था। अब अदालत के फैसले के बाद उन्हें न्याय मिलने की उम्मीद जगी है।

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