भारत के सुदर्शन चक्र ने पाकिस्तान के सारे हमले किए नाकाम! जानें S-400 के बारे में सब कुछ

S-400: कल रात से पूरी दुनिया में भारत के सुदर्शन चक्र की चर्चाएं काफी तेज हैं। 8 -9 मई की दरमियानी रात पाकिस्तान ने भारत के 15 शहरों पर मिसाइल ड्रोन अटैक करने की कोशिश की लेकिन भारत के सुदर्शन चक्र ने पाकिस्तान के सारे हमले नाकाम कर दिए। तभी से लोग जानना चाह रहे हैं कि आखिर ये सुदर्शन चक्र है क्या और क्या हैं इसकी खूबियां।

सुदर्शन चक्र S-400 एयर डिफेंस सिस्टम

7-8 मई की रात पाकिस्तान ने भारत के 15 शहरों को निशाना बनाया। जिसमें अवंतीपोरा, श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, कपूरथला, जालंधर, लुधियाना, आदमपुर, बठिंडा, चंडीगढ़, नल, फलौदी, उत्तरलाई और भुज शामिल है ।हालांकि भारत ने अपने डिफेंस सिस्टम का बेहतरीन इस्तेमाल करते हुए पाकिस्तान के सारे मनसूबे नाकाम कर दिए। इस पूरी कहानी का हीरो बना भारत का सुदर्शन चक्र यानें की S 400 एयर डिफेंस सिस्टम।

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S-400 को दुनिया का सबसे एडवांस्ड एयर डिफेंस सिस्टम

S-400 को दुनिया के सबसे एडवांस्ड एयर डिफेंस सिस्टम में से एक माना जाता है। भारत ने S 400  रुस से 35,000 करोड़ रुपये यानें की 5 बिलियन डॉलर में खरीदा था खरीदा है। ये 400 किलोमीटर दूर तक दुश्मन के जेट, ड्रोन, यहां तक कि बैलिस्टिक मिसाइल तक को पहचान लेता है, उसे ट्रैक करता है। फिर हवा में ही तबाह कर देता है। कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से भारत को S-400 के कुल पांच स्क्वाड्रन मिलने हैं. इनमें से तीन वर्तमान में चालू हैं, बांकि दो 2026 तक आने की उम्मीद है।

S 400 में क्या होता है?

एक S-400 स्क्वाड्रन में दो बैटरी होती हैं। हर बैटरी में 6 लॉन्चर, एक हाई पावर रडार और एक कंट्रोल सेंटर। ये सब मिलकर एक ‘हवाई जाल’ बनाते हैं, जिसमें अगर दुशमन  फंसा तो उसके बचने के कोई चांस नहीं होते।

भारत के डिफेंस सिस्टम S-400 की खास बात यह है कि इसमें सिर्फ एक मिसाइल नहीं होती है बल्कि 3 अलग-अलग मिसाइलों का मिश्रण होता है. इसमें से हर एक मिसाइल को एक खास उद्देश्य के हिसाब से बनाया गया है. इतना ही नहीं इसमें 3-4 अलग तरह के रडार भी हैं. इस वजह से इसके सिस्टम को जाम करना बहुत मुश्किल है।

भारत के पास और भी कई दमदार हथियार

हालांकि भारत के पास सिर्फ S 400 ही नहीं बल्कि कई और दमदार हथियार भी हैं। आकाश मिसाइल सिस्टम — इसे भारत ने स्वदेशी तरीके से डेवलप किया है, DRDO ने इसे बनाया है, इसकी रेंज 25-30 किमी, और इसकी ऐक्यूरेसी 90% से ज्यादा है। MRSAM — इंडिया-इजराइल ने साथ मिलकर बनाई है। 70-100 किमी रेंज, ये मल्टी रडार फंक्शन पर काम करता है।

Shilka (ZSU-23-4) — ये सोवियत का बनाया हुआ ट्विंन बैरल 23 मिमी ऑटोमैटिक एंटी एयरक्राफअट गन है। रेंज 2.5 किमी तक है। नीची उड़ान वाले ड्रोन, हेलीकॉप्टर और विमान इसके टारगेट होते हैं। L-70 — स्वीडिश का बनाया हुआ 40 मिमी एंटी एयरक्राफ्ट गन है। इसकी रेंज 4 किमी है। ZSU-23 और L-70 पुराने लेकिन अपग्रेडेड सिस्टम हैं, ये दोनों ही ड्रोन और हेलिकॉप्टर्स को टार्गेट करते हैं।

चीन भी यहीं डिफेंस सिस्टम करता है यूज

हालांकि इन सब के बीच दिलचस्प बात ये है कि चीन खुद रशीया का बनाया हुआ ऐयर डिफेंस सिस्टम यूज करता है वहीं उसने पाकिस्तान को अपना बनाया हुआ मेड इन चाइना का ऐयर डिफेंस सिस्टम बेच रखा है जिसे भारत ने एक ही अटैक में धवस्त कर दिया। अब सवाल ये है कि आखिर पाकिस्तान का ऐयर डिफेंस सिस्टम इतना बेकार क्यों निकला। इसी पर पाकिस्तान एयरफोर्स के पूर्व वाइस एयर मार्शल इकरामुल्लाह भट्टी का कहना है कि उनके पास चीन से खरीदे गए HQ-16 जैसे एडवांस सिस्टम हैं, जो ज़मीन से ज़मीन और समुद्री हमलों को रोक सकते हैं।

पाकिस्तान के पास मिसाइलें रोकने का कोई ठोस इंतजाम नहीं

लेकिन जब मिसाइलें हवा से दागी जाती हैं। तो पाकिस्तान के पास उन्हें रोकने का कोई ठोस इंतजाम नहीं है। दूसरे एक्सपर्ट, पूर्व एयर कमोडोर आदिल सुल्तान कहते हैं। भारत और पाकिस्तान की सीमाएं काफी नज़दीक हैं और कई जगहों पर तो फासला कुछ ही किलोमीटर का है। ऐसे में अगर एक साथ कई दिशाओं से हमले हों, तो उन्हें रोकना किसी भी देश के लिए मुश्किल हो जाता है। उन्होंने ये भी कहा कि पूरी पूर्वी सीमा पर 100% सुरक्षा के लिए अरबों डॉलर खर्च करने होंगे, लेकिन तब भी गारंटी नहीं है कि कोई मिसाइल अंदर नहीं आएगी।

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